नासिक (महाराष्ट्र ) में स्थित त्र्यंबकेश्वर मंदिर सर्वोच्च देवता शिवा को समर्पित है। त्र्यंबकेश्वर के पंड़ित और ब्राह्मण जो त्र्यंबकेश्वर में पूजा करते है वो केवल आधिकारिक पुरोहितो ( नानासाहेब पेशवा द्वारा दिए गए कानूनी अधिकार) को त्र्यंबकेश्वर मंदिर में पूजा करने का अधिकार है।
जिन पुरोहितों के पास ताम्रपात्र (प्राचीन तांबे के प्लेट से बना शिलालेख) है, उन्हें केवल मंदिर के परिसर में विभिन्न पूजा करने की अनुमति है, और वे सभी "पुरोहित संघ" नामक संस्था का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। यह संस्थान पिछले १२०० वर्षों से त्र्यंबकेश्वर शहर में सभी प्रकार के धार्मिक अनुष्ठान, पुजाऐ कर रहे हैं, इसलिए वे श्री त्र्यंबकेश्वर के उपाध्याय माने जाते हैं।
आमतौर पर, "पुरोहित संघ" नामक संस्थान एक बना संगठन है जहा विभिन्न पुरोहित इस संस्था की ओर अपना काम कर रहे है। संस्थान का एकमात्र उद्देश्य यह है की सभी त्र्यंबकेश्वर में आये भक्तों और शिष्यों को विभिन्न सुविधाएं प्रदान करना है, जो उन्हें लाभदायक हो।
१२०० वर्षों से, यह "पुरोहित संघ," संस्थान सभी भक्तों की मदद कर रहा है और उन्हें सर्वोत्तम सुविधा प्रदान करने में जुटा है। पुराने समय में, इन पुरोहितों के पूर्वज "पुरोहित संघ" संस्थान के लिए काम किया करते थे जब संस्था का नाम और मूल रूप अलग था। समय और आवश्यकता के अनुसार, अब संस्था का मूल रूप बदल गया है, लेकिन सभी पुरोहित अभी भी उन सभी प्रशंसकों और भक्तो के लिए सर्वोत्तम सुविधाए प्रदान करने में विश्वास रखते हैं।
त्र्यंबकेश्वर देवस्थान ट्रस्ट द्वारा त्र्यंबकेश्वर मंदिर लाइव दर्शन . यह एक नई सुविधा शुरू की है। त्र्यंबकेश्वर मंदिर में पूजा कर रहे सभी (वीडियो में दिखाई देने वाले) पंडितजी, अधिकृत ताम्रपत्रधारी पुरोहित हैं।
त्र्यंबकेश्वर देवस्थान ट्रस्ट द्वारा लिया गया इस लाइव स्ट्रीमिंग का महत्वपूर्ण कदम उन सभी भक्तों के लिए है जो इस साल "महाशिवरात्रि" पर कोविड -१९ महामारी के कारण भगवान त्र्यंबकराज के आशीर्वाद लेने के लिए त्र्यंबकेश्वर नहीं आ पाए।
आप दिए गए लिंक पर क्लिक कर के त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग के लाइव दर्शन कर सकते हैं।
निचे दिए गए सभी आधिकारिक और प्राधिकृत " त्र्यंबकेश्वर गुरूजी " (ताम्रपत्रधारी पुरोहित) है। केवल इन्ही पुरोहितो के पास विभिन्न पुजा जैसे कालसर्प योग शांति पूजा, नारायण नागबली पूजा, महामृत्युंजय मंत्र माला विधी, कुंभ विवाह, रुद्र अभिषेक, त्रिपिंडी श्राद्ध और अन्य विधी के अनुष्ठान त्र्यंबकेश्वर मंदिर में करने की नानासाहेब पेशवे द्वारा प्रदान कि गई विरासत और जन्माधिकार है। आप निचे दिए गए खण्ड (बटन) के ऊपर क्लिक करके कोई भी अनुष्ठान करने के लिए हमारे विभिन्न आधिकारिक ताम्रपत्रधारी त्र्यंबकेश्वर गुरुजी से सम्पर्क कर सकते है।
त्र्यंबक नगरी जैसा पवित्र शहर भगवान त्र्यंबकेश्वर का घर माना जाता है और लोग दुनिया के हर कोने से हर १२ साल में महाकुम्भ मेला के लिए यहां आते हैं। त्र्यंबकेश्वर १२ ज्योतिर्लिंग का एक हिस्सा है, जो सबसे पवित्र स्थानों में से एक माना जाता है। त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग भगवान ब्रह्मा, विष्णु और महेश का एक मेल है, इसलिए वो सर्वोच्च माना जाता है।
विभिन्न अनुष्ठान यहाँ त्र्यंबकेश्वर नगरी में सफल होते है जैसे, कालसर्प योग शांति पूजा, नारायण नागबली पूजा, महामृत्युंजय मंत्र माला विधी, कुंभ विवाह, रुद्र अभिषेक, त्रिपिंडी श्राद्ध, और अन्य विधी क्योकि त्र्यंबकेश्वर सभी ज्योतिर्लिंग स्थान से सबसे अच्छा धार्मिक स्थल के रूप में जाना जाता है।
प्राचीन धर्मशास्त्र के अनुसार, भगवान शिवा की अन्य जगह पूजा करने के बजाय त्र्यंबकेश्वर में पूजा करना और अनुष्ठान करना बहुत महत्वपूर्ण है।
यहाँ " पुरोहित संघ" संस्था सभी भक्तो के लिए सुविधाएं प्रदान करने में कार्यरत है, जिसमे सभी अधिकृत पुरोहित / त्र्यंबकेश्वर गुरूजी शामिल है, जिनके मार्गदर्शन से सभी अनुष्ठान शुभ समय और दिन में ही कीये जाते है, क्योकि केवल त्र्यंबकेश्वर गुरूजी को ही मंदिर में पूजा करने की अनुमतिओ और विरासत मिली है।
इस खण्ड (सेक्शन) में कुछ पूजाएँ आपके लिए वर्णित हैं, पूजा के नाम पर क्लिक करके, आप नासिक में स्थित त्र्यंबकेश्वर मंदिर में किए जाने वाले अनुष्ठानों के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त कर सकते है।
"पुरोहित संघ," संस्था का प्रतीक चिन्ह भी एक आध्यात्मिक विचार से बनाया गया है जैसा कि ऊपर चित्रित है, जिसमे एक ऋषि (संत) को दर्शाया गया है, जो "धार्मिक पुस्तक - वेद" पढ़ रहे है। प्रतीक चिन्ह में दर्शाये गए नारंगी और पीला रंग हिंदू परंपरा के अनुसार आध्यात्मिकता और शुद्धता को दर्शाता हैं।
"वयं राष्ट्रे जागृयाम पुरोहिताः" ऐसी एक पंक्ति का उपयोग लोगो में किया गया है, जिसका अर्थ है की "पुरोहित, पुरोहिती (अमात्य) राष्ट्र को जीवित रखेगा।". पुरोहित "शब्द का अर्थ है, जो भक्तों के लिए लाभदायक कार्य करना चाहता हो। प्राचीन काल में ऐसे व्यक्तियों को "पुजारी" या "पुरोहित" से सम्बोधित किया जाता है। पुजारी राष्ट्रीय समृद्धि, गौरव और विकास के लिए माने जाते हैं क्योकि वे सोचने और सही / गलत की भावना जागृत करने के लिए सक्षम होते है, इसलिए उन्हें उचित सलाह देने और जागृति के लिए मुख्यतः रूप से माना जाता है।
पुरोहित संघ संस्था का अधिकृत प्रतिक चिन्ह (लोगो) यहाँ दिखाया गया है, इसलिए अनुष्ठान के लिए बुकिंग करते समय, सुनिश्चित करें कि आप केवल आधिकारिक पुरोहितो तक पहुँचते हैं न कि छल और कपटी पंडित के पास। कई धोखेबाज पंडितों द्वारा उपयोग किए गए कुछ नकली या डुप्लिकेट प्रतीक चिन्ह (लोगो) को भी आपके जानकारी के लिए यहां दिखाया गया है, इसलिए किसी की बातो में न आकर अपने पूजा को केवल पुरोहित संघ संस्थान, त्र्यंबकेश्वर के आधिकारिक पुरोहितो द्वारा हि करे।