नारायण नागबली पूजा त्र्यंबकेश्वर में की जाने वाली महत्वपूर्ण पूजाओं में से एक शांति पूजा है, जो पित्रों की आत्मा की शांति के लिए की जाती है। नारायण नागबली पूजा दो पूजाओं का एकत्रित रूप है जिसमें नारायणबली पूजा एवं नागबली पूजा सम्मिलित है। नारायण नागबली पूजा का मुख्य उद्देश्य है पितृ दोष से मुक्ति दिलवाना। जब किसी व्यक्ति के परिवार में कोई व्यक्ति की आगे दी गए कारणों से मृत्यु होती है तो उसकी आत्मा को शांति नहीं मिलती; जैसे
इन परिस्थियों में व्यक्ति की इच्छाएँ अधूरी रहती है। नारायण नागबली पूजा के माध्यम से उस व्यक्ति की आत्मा को शांति मिलती है। अपने कर्मों के अनुरूप उन्हें अगला जन्म या मोक्ष की प्राप्ति होती है।
किसी व्यक्ति के मृत्यु के बाद उस व्यक्ति का विधिवत रूप से अंतिम संस्कार, श्राद्ध एवं तर्पण न किया जाए तो उसकी आत्मा पृथ्वीलोक पर भटकती है। उनके पीढ़ी को पितृ दोष लगता है। ऐसे परिवार में जन्मे वंशजों को पुरे जीवन में अनेक कष्ट उठाने पड़ते है, तथा यह दोष एक पीढ़ी से अगली पीढ़ी तक कष्ट पहुँचाता है। पितृ दोष का निवारण नारायण बलि पूजा से होता है तथा नागबली पूजा से सर्प या नाग की हत्या से निर्मित दोष का निवारण होता है।
नारायण बलि और नागबली यह दोनो पुजाएँ मनुष्य की अधूरी इच्छाओं की पूर्ति के लिए की जाती है। पित्रों की इच्छा पूर्ण इन पूजाओं से होती है तथा नागबली पूजा करने से नाग की आत्मा को शांति मिलती है। नारायण बलि और नागबली पूजा में से कोई भी एक पूजा करने से उद्देश्य की पूर्ति संभव नहीं होने के कारण यह दोनों पुजाएँ एक साथ ही पूर्ण करना आवश्यक होता है। इसीलिए नारायण नागबली पूजा को काम्य पूजा भी कहा जाता है। जिन व्यक्तियों के माता-पिता अभी जीवित हैं वे भी नारायण नागबली पूजा कर सकते हैं।
नारायण बलि पूजा का आयोजन प्रेतयोनि की पीड़ा से मुक्ति दिलाने के लिए की जाती है। आकस्मिक मृत्यु के बाद और अंतिम संस्कार के पहले हमारे पूर्वज प्रेतयोनि में अटक जाते है। प्रेतयोनि में ऐसे पूर्वजों की आत्मा अनेक कष्ट को भोगती है, अनेक यातनाओं से क्रोधी हो जाती है। नारायण बलि पूजा का आयोजन त्र्यंबकेश्वर में किया जाता है। जिसके लिए विशेष दिन एवं मुहूर्त की जानकारी त्र्यंबकेश्वर पण्डितजी द्वारा प्राप्त की जाती है। पितृ दोष के निवारण के लिए प्राचीन शास्त्रों में नारायण बलि की विधि बताई गयी है। नागबली पूजा के बिना यह पूजा नहीं की जाती।
नागबली पूजा उस नाग की आत्मा को शांति मिलती है जिसकी किसी व्यक्ति या पूर्वज द्वारा द्वारा अज्ञानतावश मृत्यु हुई है। जब किसी व्यक्ति द्वारा नाग की मृत्यु होती है, तब उसे नाग मृत्यु का दोष लगता है। ऐसे में नाग की आत्मा उस व्यक्ति के स्वप्न में आती है या स्वप्न में उसका पीछा करती है, या उस व्यक्ति को स्वप्न में शरीर पर सर्प रेंगने की अनुभूति होती है। तब उस नाग की आत्मा को शांति देना अति आवश्यक होता है। नाग की मृत्यु का दोष एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को भी लगता है। अचानक से सर्प के काटने की परिस्थिति भी उपस्थित हो सकती है, जिसके कारण व्यक्ति की मृत्यु होने की संभावना भी हो सकती है। इसीलिए नागबली पूजा से सर्प की आत्मा को शांति मिलने से व्यक्ति इस दोष से मुक्त होता है।
१) नारायण नागबली पूजा पति एवं पत्नी ने साथ मिलकर करने से व्यक्ति के धन संबंधी समस्याओं का निवारण होता है तथा वंश वृद्धि, कार्य में यश एवं कर्ज से मुक्ति भी मिलती है।
२) व्यक्ति की शादी न होने पर या पत्नी की जीवित न होने पर भी कुल एवं वंश के उद्धार के लिए भी नारायण नागबली पूजा की जाती है।
३) गर्भवती महिला गर्भ धारण से आगे पांचवे महीने तक ही नारायण नागबली पूजा कर सकती है।
४) घर-परिवार में यदि कोई मांगलिक कार्य जैसे विवाह विधि, नामकरण विधि हो तो यह पूजा एक साल के बाद की जाती है।
५) यदि घर में किसी व्यक्ति की मृत्यु होती है तब यह पूजा एक साल तक नहीं की जा सकती।
६) इस पूजा का अनुष्ठान महिला अकेले नहीं कर सकती।
७) अगर परिवार का कोई व्यक्ति लापता हुआ है तो उसका एक माह, तीन माह, एक वर्ष या तीन वर्षों तक इंतज़ार किया जा है उस लापता व्यक्ति को मृत नहीं माना जा सकता। किन्तु इस अवधि में अगर वह व्यक्ति लौटकर नहीं आए तब नारायण नागबली पूजा के माध्यम से उसे प्रेत योनि से मुक्त करना हमारा कर्तव्य है, और यही शास्त्रों का विधान है।
८) पूजा के कालावधि में व्यक्ति को प्याज, लहसुन युक्त भोजन का परहेज करना आवश्यक है।
९) इस पूजा की समाप्ति न होने तक व्यक्ति त्र्यंबकेश्वर से लौटकर नहीं जा सकता, क्युकी यह अनुष्ठान अधूरा नहीं छोड़ा जाता ऐसा शास्त्रमत है।
१०) पूजा के दौरान पुरुष धोती, रुमाल आदि वस्त्र धारण करते है एवं महिलाएँ सफेद साडी पहनती है।
११) पूजा के दिन से पूर्व ४ दिन पहले ही त्र्यंबकेश्वर में उपस्थित रहना आवश्यक है।
-------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------
-------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------
नारायण नागबली पूजा की जानकारी 'निर्णय सिंधु', स्कंदपुराण और पद्म पुराण में उल्लेख की गयी हैं। नारायण नागबली पूजा के विधि को ३ दिन का कालावधि लगता है।
१) नारायण बलि पूजा के के पहले दिन शुचिर्भूत होकर विधि के लिए उपयुक्त वस्त्र धारण करने के पश्चात पूजा का संकल्प लिया जाता है।
२) संकल्प के पश्चात सूर्य देवता, दिप, भूमि एवं वरुण देवता की पूजा की जाती है।
३) प्रधान देवता का पूजन किया जाता है जिसमे महाविष्णु पूजन, ब्रह्मदेव पूजन, विष्णु पूजन, रूद्र पूजन, यमपूजन तथा प्रेतपूजन किया जाता है। पंचदेवता पूजन के पश्चात एकादश विष्णु श्राद्ध की विधि की जाती है; जिसके बाद नारायण बलिदान किया जाता है।
४) नारायण बलि पूजा द्वारा त्र्यंबकेश्वर पण्डितजी मंत्रों के माध्यम से अतृप्त पूर्वजों की आत्माओं से निवेदन करते है जिनकी इच्छाएँ अधूरी हैं। हमारे पूर्वजों का कुश घास द्वारा प्रतीकात्मक शव बनाया जाता हैं, एवं इस प्रतीकात्मक शव को वास्तविक शव की तरह ही अग्नि-संस्कार किया जाता है। इस पूजा को पलाश विधि भी कहा जाता है।
५) नागबली पूजा के दूसरे, गेहूं के आटे से निर्मित साँप के शरीर का अंतिम संस्कार विधि पूर्ण किया जाता है। अग्नि संस्कार के बाद उस नाग की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध पूजा की जाती है।
६) पूजा के तीसरे दिन सर्प शाप की निवृत्ती के ताम्रपत्रधारी पण्डितजी के घरमें श्री गणेश पूजन, पुण्याह वाचन, नाग पूजा की जाती है। इस विधि के बाद धातू से निर्मित नाग की मूर्ति अपने पण्डितजी को दिया जाता है। इस तरह से पितृ दोष, पितृ शाप, नागशाप दोष, प्रेतशाप दोष का निवारण होता है।
कोई भी पूजा के लिए सबसे पहले जरुरी है पूजा का अच्छा मुहूरत। नारायण नागबली मुहरत और पूजा बुकिंग के लिए पुरोहित संघ ने अपना ऑनलाइन पूजा बुकिंग पोर्टल बनाया है। बुकिंग पोर्टल पर त्रिम्बकेश्वर में पूजा करके वाले सभी पंडितजी की जानकारी दी है।
इसका उपयोग करके आप पूजा के पंडित ऑनलाइन बुक कर सकते हो। अधिक जानकारी के लिए पंडितजी का फ़ोन नंबर भी दिया है, कृपया इसका लाभ लाभ उठाये।
नारायण नागबली पूजा का मूल्य तीन दिनमे पूजा के लिए लायी गई आवश्यक सामग्री पर निर्भर करता है। यह सामग्री त्र्यंबकेश्वर पण्डितजी द्वारा लायी जाती है। आपको केवल पूजा के एक दिन पहले त्र्यंबकेश्वर में आना होता है।
त्र्यंबकेश्वर मंदिर में परंपरागत अधिकार से अनुसार की जानेवाली त्रिकाल पूजा केवल ताम्रपत्रधारी गुरूजी ही कर सकते है। गुरूजी यहाँ के स्थानिक पुरोहित है। पेशवाकाल में सरदार श्री बालाजीराव पेशवा द्वारा दिए गए ताम्रपत्र पर यह अधिकार अंकित किया गया है। नारायण नागबली पूजा त्र्यंबकेश्वर मंदिर के पूर्व दरवाज़े पर स्थित अहिल्या गोदावरी मंदिर एवं सती महाश्मशान में की जाती है। तथा श्री गणेश पूजन त्र्यंबकेश्वर पण्डितजी के निवासस्थान पर किया जाता है।
त्रिम्बकेश्वर के पण्डितजी से संपर्क करने के लिए पुरोहित संघ की वेबसाइट का उपयोग कर सकते हो। वेबसाइट पर त्रिम्बकेश्वर में पूजा करने वाले सभी पंडितजी की जानकारी दी है। क्रिपया इसका लाभ उठाये।